काव्य संग्रह ‘नन्हें सपनों का सुख’ से आदिवासी साहित्य में अपनी पुख्ता पहचान बनाने वाली सरिता बड़ाईक एक बार से अपने नये कहानी संग्रह ‘बंद डायरी’ के साथ पाठकों के सामने हैं। 1985 से 1992 तक आकाशवाणी, राँची से इनकी कविताओं का निरंतर प्रसारण होता रहा। इसके बाद व्यक्तिगत कारणों से लेखन कार्य अवरुद्ध हुआ। लेकिन 2007 में ‘युद्धरत आम आदमी’ पत्रिका में कविता-कहानी प्रकाशन के बाद फिर से लिखना आरंभ किया। ‘नन्हें सपनों का सुख’ और ‘बंद डायरी’ सहित अब तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। मिसी संस्था द्वारा ‘प्रेरणा स्रोत’ सम्मान से सम्मानित सरिता बड़ाईक का लेखन आदिवासी साहित्य में एक उपलब्धि है।