By toakhra July 11, 2021 0 सृष्टि में जो कुछ भी, सब समान है – अखड़ा डेस्क | आदिवासी दर्शन प्रकृतिवादी है। आदिवासी समाज धरती, प्रकृति और सृष्टि के ज्ञात-अज्ञात निर्देश, अनुशासन और विधान को सर्वोच्च स्थान देता है। उसके दर्शन में सत्य-असत्य, सुन्दर-असुन्दर, मनुष्य-अमनुष्य जैसी कोई अवधारणा नहीं…
By toakhra July 11, 2021 0 एलिस आपको किसी वंडरलैंड में नहीं ले चलतीं – अमरेन्द्र यादव | भारत की पहली आदिवासी स्त्री कथाकार मानी जानेवाली एलिस एक्का, पहली आदिवासी महिला ग्रैजुएट भी थीं. ’50 और ’60 के दशक में साप्ताहिक आदिवासी में छपी उनकी छह कहानियां और उनके…
By toakhra July 11, 2021 1 संविधान-सभा में करोड़ों आदिवासियों का एक प्रतिनिधि – अखड़ा डेस्क | यह पुस्तक हमें उस प्रभावशाली और दूरदर्शी आदिवासी राजनीतिज्ञ के सोच-विचार से परिचित कराती है जिसे गांधी, नेहरु, जिन्ना और अंबेडकर के मुकाबले कभी नहीं याद किया गया। उस आदिवासी व्यक्तित्व…
By toakhra July 11, 2021 1 निश्छल प्रेम से जुड़े रहने की गाथा है ‘जंगल के आगे’ – अरविंद अविनाश | 1968 में ब्लैकवूड द्वारा प्रकाशित सीता रत्नमाला की ‘जंगल के आगे’ आत्म स्ंास्मरण निश्छल प्रेम और जड़ से जुड़े रहने की अनूठी गाथा है. यद्यपि मौलिक रूप से यह आत्म संस्मरण…