इस किताब में आदिवासी लेखक और बुद्धिजीवी कहते हैं-‘‘इतना तो हम जानते हैं कि इस धरती का स्वामी मानव नहीं है। मानव का धरती से सिर्फ एक नाता है। इतना तो हम जानते हैं कि सभी चीजें आपस में ऐसे जुड़ी हैं जैसे खून एक परिवार को जोड़ता है। सभी चीजें- सभी एक-दूसरे से जुड़ी हैं। जो कुछ पृथ्वी के साथ घटित होता है, वही पृथ्वी की संतानों के साथ घटित होता है। मानव ने जीवन का ताना-बाना नहीं बुना। वह तो इस ताने-बाने का एक तन्तु मात्र है। इस ताने-बाने के साथ जो भी वह करता है, वह अपने साथ करता है।’’
गीताश्री उरांव, रोज केरकेट्टा, ग्लैडसन डुंगडुंग, जोवाकिम तोपनो, गंगा सहाय मीणा , डॉ. सावित्री बड़ाईक, वंदना टेटे, रेमिस कंडुलना, सेम तोपनो, अनुज लुगुन, वाल्टर भेंगरा ‘तरुण’, डॉ. रामदयाल मुंडा , कृष्णमोहन सिंह मुंडा , जयपाल सिंह मुंडा, रोस्के-मार्टिनेज और सिएटल के रेड इंडियन मुखिया के ‘आदिवासियत’ संबंधी लेखों का पठनीय व संग्रहणीय हिंदी संकलन।