Description
छाँइह में रउद
कवि: दुष्यंत अनुवादक: अश्विनी कुमार पंकज
दुष्यंत की हिंदी गजलें आज हरएक भारतीय की जबान पर है। हिंदी में गजल नहीं कही जा सकती, इस मिथ को तोड़ते हुए दुष्यंत ने अवाम के वेदना और विद्रोह को जो अभिव्यक्ति दी है, उसे नागपुरी में उसी तेवर के साथ झारखंडी पाठकों के लिए इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है।
प्रकाशक: प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन, रांची (झारखंड)
प्रकाशन वर्ष: 2009, पृष्ठ: 68
ISBN : 978-93-81056-04-2
Reviews
There are no reviews yet.