Description
आदिवासी लोक साहित्य खासकर लोकगीत और लोक कथाएँ मौखिक परम्परा के आधार पर ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी अबतक जीवित रही हैं। शिक्षा के प्रचार-प्रसार के साथ आदिवासी लोक साहित्य को लिपिबद्ध कर इनके संग्रहण एवं संरक्षण का पूर्ण प्रयत्न किया जा रहा है क्योंकि ये आदिवासियों की अनमोल धरोहर हैं और ऐतिहासिक साक्ष्य भी। डॉ. सिकरादास तिर्की ने ‘मुंडारी लोक साहित्य में ऐतिहासिक तथ्य’ शीर्षक अपने शोध-प्रबंध में मुंडारी लोक साहित्य का गहन अध्ययन कर झारखंड के आवृत्त इतिहास को अनावृत्त करने का सराहनीय प्रयास किया है। इस पुस्तक में उन्होंने अपने विषय को विभिन्न अध्यायों में समेटने की कोशिश की है। क्रमशः एक अध्याय में प्रागैतिहासिक तथ्य का उद्घाटन किया है, तो दूसरे अध्याय में प्राचीन ऐतिहासिक तथ्य का। तीसरे अध्याय में मध्यकालीन ऐतिहासिक तथ्य का रोचक प्रस्तुतिकरण किया गया है और चौथे अध्याय में आधुनिक ऐतिहासिक तथ्य का उद्घाटन करते हुए अंत में उनका मूल्यांकन किया है। अनेकानेक प्रसंगों एवं उदाहरणों द्वारा डॉ. तिर्की ने स्पष्ट कर दिया है कि मुंडारी लोक साहित्य में किस प्रकार ऐतिहासिक तथ्य प्राप्य हैं और उन तथ्यों द्वारा झारखंड के इतिहास का और खासकर मुंडा समुदाय के इतिहास का वास्तविक परिचय मिलता है। झारखंड के आदिवासी इतिहास, साहित्य और संस्कृति के दृष्टिकोण से ही नहीं वरन् भारतीय इतिहास, साहित्य और संस्कृति की दृष्टि से भी डॉ. सिकरादास तिर्की का यह कार्य अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
Dr. Sikaradas Tirky’s research dissertation, titled “Historical Facts in Mundari Folk Literature,” represents a significant effort in uncovering the historical evidence of Jharkhand’s Adivasi community. In this book, he conducts an in-depth exploration of historical facts, presenting them in various chapters, and highlighting the vital role of Adivasi history and literature, not only in Jharkhand but also from the perspective of Indian literature, history, and culture.
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